सतयुग के देवता , सतयुग के अवतार - satyug
सतयुग के देवता , सतयुग के अवतार - Satyug
सतयुग के देवता कौन थे? सतयुग कब आएगा? या फिर आपका प्रश्न है कि सतयुग की परिभाषा क्या है , तब आप सही आर्टिकल पर है । हम आज आपको आपके सारे प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करेंगे। बने रहे अंत तक हमारे साथ Satyug के बारे में जानने के लिए .सतयुग के देवता सतयुग के अवतार Satyug
युग क्या है? What is Yug?
हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार 4 युग मैने जाते है ।
सतयुग ( Satyug )
त्रेतायुग ( Tretayug )
द्वापरयुग ( Dwaparyug )
कलयुग ( Kalyug )
युग का अर्थ यहां पर किसी एक समय काल से होता है। इसे ब्रह्मा के एक दिन ( दिन+ रात ) से जोड़ा जाता है । माना जाता है कि युगों का कालचक्र ऐसे ही चलता रहता है । प्रत्येक कलयुग के बाद सतयुग की शुरुवात होती है ।
पौराणिक कहानियों के हिसाब से माना जाए तो
सतयुग - 1728000 वर्ष
त्रेतायुग - 1296000 वर्ष
द्वापरयुग - 864000 वर्ष
कलयुग - 432000 वर्ष
का होता है ।
सतयुग ( Satyug ) :
सतयुग में ज्ञान ध्यान और तप का विशेष महत्व था। पौराणिक मान्यता है कि सतयुग में धर्म के चार स्तंभ, द्वापर युग में धर्म तीन स्तंभ पर, त्रेता युग में धर्म दो स्तंभ और कलयुग में यह एक स्तंभ पर आ गया है। धर्म के चार स्तंभ के नाम हैं सत्य यज्ञ ज्ञान और दान।
युग के हिसाब से मनुष्य की लंबाई भी कम होती गई हैं और उनकी आयु में घटती गई है माना जाता है कि प्रारंभिक अर्थात सतयुग में मनुष्य की आयु 10000 वर्ष और लंबाई 32 फीट यानी 21 हाथ तक होती थी जबकि यह युग के घटने के साथ मनुष्य की लंबाई और उम्र दोनों घटते गए इसके बाद त्रेता युग में मनुष्य की उम्र 1000 वर्ष और ऊंचाई 16 फीट यानी 14 हाथ तक सीमित हो गई।
अगर बात द्वापर युग की करें तो इस युग में मनुष्य की लंबाई 7 हाथ अर्थात 11 फीट हो जाएगी। कलयुग की शुरुआत में तो मनुष्य की आयु 100 वर्ष तक रहेगी परंतु कलयुग के अंत आते आते मनुष्य की आयु 12 वर्ष हो जाएगी । इस वक्त आप यह एहसास कर पा रहे होंगे की मनुष्य की आयु 75 वर्ष तक हो गई है ।
जहां सतयुग काल में शत प्रतिशत अर्थात 100% लोग सत्य वचन कहते थे और 0% पाप होता था यह भी समय के साथ घटता जा रहा है त्रेता युग में 75% पुण्य आत्मा और 25% दुरात्मा अर्थात झूठे और पापी लोग रहते थे, द्वापर युग में 50% सत्य वचन कहने वाले और 50% पाप करने वाले लोग रहते थे । कलयुग में यह सबसे खराब स्थिति में है इस काल में 75% लोग झूठ बोलने वाले पाप करने वाले और मांस भक्षी हो गए हैं जबकि सिर्फ 25% लोग हैं सत्य वचन कहने वाले है ।
सतयुग की परिभाषा क्या है?
जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि सचिव को चारों युगों में से सबसे पहले आता है। इस युग में मनुष्य सत्य बोलता था इसलिए उसे सत्य युग या सतयुग कहा गया । इसे देवताओं का युग भी कहते है । इस काल में मनुष्य बिल्कुल भी पाप नहीं करता था ।
सतयुग के देवता : सतयुग के अवतार
सतयुग में भगवान विष्णु के दशावतार में से 4 अवतारों में जिनमें से मत्स्य अवतार कूर्म अवतार वराह अवतार और नरसिंह अवतार है । इन्हे ही सतयुग के देवता अथवा सतयुग के भगवान कहते है । भगवान विष्णु के 4 अवतारों के बारे में हमने विस्तृत रूप में अपने इस ब्लॉग में लिखा हुआ है आप उसे सर्च कर सकते हैं अथवा किसी भी अवतार के बारे में विस्तृत रूप से पढ़ने के लिए नीचे दिए गए नमो पर क्लिक करें।
सतयुग के देवता सतयुग के अवतार Satyug
सतयुग - Satyug
मत्स्य अवतार
कूर्म अवतार
नरसिंह अवतार
अलावा भगवान विष्णु के अन्य अवतार जिन्हें हम दशावतार की श्रेणी में नहीं रखते उनमें से भी कुछ अवतार इस युग में हुए जैसे
श्री सनकादि मुनि
नारद अवतार
नर नारायण अवतार
कपिल मुनि
दत्तात्रेय
यज्ञ
नारद
पृथु
ऋषभदेव
धन्वंतरि
मोहिनी
हयग्रीव
इस तरह कहा जा सकता है की भगवान विष्णु के 24 में से अधिकतर अवतार सतयुग में ही हुए । हमेशा दशावतार को प्राथमिकता दी जाती है इसलिए हमने उन्हें अलग ऊपर की सूची में रखा है ।
Conclusion (निष्कर्स):-
हमे उम्मीद है कि आपको आपके सवालों के जवाब अर्थात सतयुग के देवता , सतयुग के अवतार अथवा सतयुग क्या है ? का उत्तर मिल गया होगा । आपको यह जानकारी कैसी लगी आप हमें कमेंट करके अवश्य बताएं।
धन्यवाद